ज़रा सा बाकी हूं जलने तो दे…
अभी दर्द में थोड़ा और मचलने तो दे…
तू देखेगा हवाओं संग उड़ता मुझको…
दौड़ भी लूंगा अभी चलने तो दे…
इतना जल्दी हार मानना मैने सीखा ही नही…
जीत भी आयेगी तू बाज़ी बदलने तो दे…
अभी हंस ले तू मुझे नादान कह कर…
तजुर्बा भी आजायेगा ज़रा वक्त निकलने तो दे…
अब मैदान में आया हूं तो गिरना भी लाज़मी सा है…
उठ भी जाऊंगा तू ज़रा सा मुझे संभलने तो दे…
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